Oumuamua. आउटर स्पेस से पहला इंटरस्टेलर विजिटर। क्या Oumuamua एक Spaceship है।(complete detail)

हम जानते हैं कि हमारे सौरमंडल में ग्रहों तथा उपग्रहों के अलावा भी कई तरह के ऑब्जेक्ट मौजूद हैं। जैसे एस्टेरॉयड, comet, metioroid इत्यादि। पर साल 2017 में पहली बार हमने एक ऐसे ऑब्जेक्ट को डिटेक्ट किया जो हमारे सौरमंडल का था ही नहीं। दरअसल यह ऑब्जेक्ट किसी दूसरे सौरमंडल से आया था। इसकी रफ्तार इतनी तेज थी कि आसानी से सूर्य की ग्रेविटी के प्रभाव से निकल गया। फिलहाल यह उस रास्ते पर है जो इसे हमारे सौरमंडल से बाहर ले जाएगा।
इस ऑब्जेक्ट को पहले c/2017 U1 Panstarrs नाम दिया गया था, जिसे बाद में बदल कर Oumuamua कर दिया गया जो एक हवाई नाम है, जिसका मतलब होता है, दूर से आने वाला पहला मैसेंजर
आज के इस एपिसोड में हम जानेंगे इस ऑब्जेक्ट के बारे में तथा यह भी की यह कहां से आया था, इसे कैसे डिटेक्ट किया गया, यह असल में क्या हो सकता है इत्यादि। तो चलिए शुरू करते हैं आज का एपिसोड।


दिन था 19 अक्टूबर 2017 का जब पहली बार एस्ट्रोनॉमर की नजर एक ऐसे ऑब्जेक्ट पर पड़ी जिसकी ट्राजेक्टरी सौरमंडल में मौजूद बाकी सभी ऑब्जेक्ट से अलग थी। इसकी रफ्तार इतनी तेज थी कि सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा था।

इसे डिटेक्ट किया गया Pan-STARRS से जो पावरफुल टेलिस्कोप का एक ऐसा ग्रुप है जो ऐसे हर तरह के ऑब्जेक्ट्स पर नजर बनाए रखता है जो अंतरिक्ष में या तो मूव कर रहे हो या फिर वेरिएबल हो, जैसे एस्ट्रॉयड और comets।
पहले एस्ट्रोनॉमर को लगा कि यह ऑब्जेक्ट भी एक साधारण comet से ज्यादा कुछ नहीं है। पर जब उन्होंने लगातार 34 दिन तक इस पर नजर बनाए रखी तथा ऑर्बिटल मकैनिक के आधार पर इसकी छानबीन की तो पता चला कि यह इस सौरमंडल का है ही नहीं, बल्कि किसी दूसरे सौरमंडल से यहां तक पहुंचा है। जैसे कि मैंने पहले ही बताया, इसे Oumuamua नाम दिया गया जो एक हवाइ नाम है जिसका मतलब होता है दूर से आने वाला पहला मैसेंजर। इससे पहले कि यह जाने कि यह कहां से आया है, आइए जान लेते हैं कि इसका आकार कैसा है तथा यह किस चीज से बना है। हमारे टेलिस्कोप ने इस ऑब्जेक्ट की जो तस्वीर ली है, वह कुछ ऐसी है।
जैसे कि आप खुद देख सकते हैं कि यह एक छोटे से धुंधले डॉट से ज्यादा कुछ भी नहीं है। इसलिए केवल इस तस्वीर के आधार पर इस ऑब्जेक्ट के आकार के बारे में बता पाना लगभग असंभव है। पर जब हमने इस पर लगातार नजर बनाए रखी तो हमने देखा कि irregular periods के साथ इसकी ब्राइटनेस में भी लगातार अंतर आ रहा था।
हमारे सौरमंडल में ऐसी प्रॉपर्टीज केवल वही ऑब्जेक्ट्स शो करते हैं जो आकार में लंबे हो तथा टंबलिंग मोशन में हो यानी की यात्रा करते समय उनकी बॉडी भी अपना पोजीशन लगातार बदल रही हो। ऐसे ऑब्जेक्ट अपने पाथ में हुई एक बड़ी कॉलेजन के गवाह होते हैं। क्योंकि Oumuamua के पास comets की तरह पूंछ नहीं है, हम यह कह सकते हैं कि सूर्य के रेडिएशन के कारण इसका सर्फेस वेपौराइज नहीं हो रहा है।
इसका सीधा सा मतलब यह है कि कम से कम 1 मीटर की गहराई तक या तो यह पत्थर से बना है या फिर किसी मेटल से। यानी कि यह निश्चित रूप से एक एस्ट्रॉयड है ना कि कोई comet। अगर इसकी लंबाई और चौड़ाई की बात की जाए तो ये लगभग 400 मीटर लंबा है तथा कम से कम इससे 10 गुना ज्यादा चौड़ा है।
इस तरह के आकार का कोई ऑब्जेक्ट हमने अपने सौरमंडल में आज तक नहीं देखा है। हमारे सौरमंडल में 3:1 से ज्यादा की लंबाई तथा चौड़ाई के अनुपात में कोई भी ऑब्जेक्ट आज तक देखा नहीं गया है। Oumuamua के ब्राइटनेस पैटर्न से यह पता चलता है कि यह हर 7.3 घंटे में एक बार स्पिन कर रहा है। इसका सर्फेस भूरे रंग का है जो यह दर्शाता है कि यह ऑब्जेक्ट अरबो सालो से कॉस्मिक रेस को झेलता आ रहा है। फिलहाल एस्ट्रोनॉमर यह मानकर चल रहे हैं कि यह एक एस्टेरॉयड है जो शिगार के आकार का है तथा या तो पूरी तरह पत्थर का बना हुआ है या फिर मेटल का। यहां एक संभावना यह भी है कि, हो सकता है कि यह किसी दूसरी उन्नत सभ्यता का कोई स्पेसशिप हो, जो पूरी तरह से मेटल का बना हुआ हो। हो सकता है दूसरे सौरमंडल में रहने वाली किसी अन्य विकसित सभ्यता ने इसे हम से संपर्क करने के लिए हमारे सौरमंडल में भेजा हो। बिलकुल वैसे ही जैसे हमने वॉयचर यानों को दूसरे सौरमंडल में भेजा है। यूं तो ऐसा होना काफी मुश्किल लगता है पर कुछ एस्टॉनोमर्स इस संभावना की भी जांच कर रहे हैं तथा यह पता लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं कि कहीं ऑब्जेक्ट हमें किसी प्रकार का कोई सिग्नल तो नहीं भेज रहा। इसके बारे में जो सबसे अजीब बात है, वह है इसका मोशन, हम जानते हैं कि हमारे सौरमंडल में मौजूद हर वस्तु कैपलर लॉ को फॉलो करते हुए हमेशा केवल एलिप्टिकल आर्बिट में ही मुंह करती है। ऑर्बिट की इक्सेंट्रिसिटी से हमें पता चलता है कि एलिप्स कितना फैला हुआ है।
जैसे अगर इक्सेंट्रिसिटी जीरो है तो ऑर्बिट एक पर्फेक्ट सरकल होगा
और अगर इक्सेंट्रिसिटी एक से कम है तो ऑर्बिट एलेप्टिकल होगा।
इसका मतलब यह है कि इस सौर मंडल में मौजूद हर तरह का ऑब्जेक्ट सूर्य से ग्रेविटेशनली बाउंडेड होता है। उदाहरण के लिए पृथ्वी की इक्सेंट्रिसिटी है 0.0167 जिसके कारण इसका ऑर्बिट लगभग सर्कुलर है।
हेली कॉमेट की इक्सेंट्रिसिटी होती है 0.967 जिसके कारण इसका ऑर्बिट एक स्ट्रेचेड ऐलिप्स होता है।
एक से ज्यादा इक्सेंट्रिसिटी रखने वाले ऑब्जेक्ट unbound hyperbolic path फॉलो करते हैं जिसके कारण वह सही मायनों में कभी भी सूर्य का चक्कर नहीं लगाते। ऐसे ऑब्जेक्ट सूर्य की ग्रेविटी से डिफलेक्ट कर दिए जाते हैं। Oumuamua की इक्सेंट्रिसिटी है 1.2, इसका मतलब यह है कि इसका हाइपरबॉलिक पाथ इसे हमारे सौरमंडल से बाहर ले जाएगा। दूसरे शब्दों में इसे आप एस्केप वेलोसिटी से भी समझ सकते हैं। अगर आप पहले से नहीं जानते तो मैं आपको बता दूं कि एस्केप वेलोसिटी किसी ऑब्जेक्ट कि वह वेलोसिटी होती है जो उसे ग्रेविटेशनल फील्ड से बाहर निकाल सके। जिस समय Oumuamua बुध ग्रह के ऑर्बिट में था उस समय वह सूर्य के सबसे नजदीक था। उस समय इसकी रफ्तार 87.7 किलोमीटर प्रति सेकंड। बुध ग्रह के ऑर्बिट से निकलने के लिए इसऑब्जेक्ट की एस्केप वेलोसिटी लगभग 80 किलो मीटर पर सेकंड होनी चाहिए, क्योंकि Oumuamua की रफ्तार से कहीं ज्यादा थी यह आसानी से सूर्य के ग्रेविटी के प्रभाव से निकलकर फिर से इंटरस्टेलर स्पेस में जा सकता था। 9 सितंबर 2017 को यह सूर्य के सबसे नजदीक था। 14 अक्टूबर को यह पृथ्वी के नजदीक से गुजरा था तथा 1 नवंबर को यह मंगल के ऑर्बिट से बाहर निकल गया। जिस रफ्तार से यह जा रहा है। मई 2018 में यह बृहस्पति से भी आगे निकल जाएगा तथा साल 2019 में शनि ग्रह से आगे। अब अगला सवाल ये उठता है की यह आया कहां से था, तथा इसकी रफ्तार इतनी तेज क्यों थी? एस्ट्रोनॉमर ने इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए तीन तरह के हाइपोथिसिस पर विचार किया। पहला हाइपोथिसिस यह था कि यह ऑब्जेक्ट हमारे सौरमंडल के बाहर से नहीं बल्कि यही मौजूद Kuiper बेल्ट या Oort Cloud से आया था।
पर यहां परेशानी यह थी कि इन रीजन से आने वाले एस्टेरॉयड और कॉमेंट्स केवल इतनी रफ्तार ही प्राप्त कर पाते हैं कि वह वापस वही लौट सके, जहां से वह आए थे। Oumuamua जैसी रफ्तार प्राप्त करने के लिए रीजन आने वाले ऑब्जेक्ट को एक खास तरह के ग्रेविटेशनल किक की जरूरत थी, किसी प्लेनेटरी ऑब्जेक्ट से। कंप्यूटर सिमुलेशन मॉडल ने हमें यह बताया कि वहां ऐसा कोई प्लेनेटरी ऑब्जेक्ट मौजूद नहीं है जो ऐसा कर पाए। याने की Oumuamua हमारे सौरमंडल का नहीं हो सकता। दूसरा हाइपोथिसिस यह है कि Oumuamua किसी दूसरे सौरमंडल से आया है जो हमसे बहुत ज्यादा दूर नहीं है। दूसरे सौरमंडल से आकर हमारे सौरमंडल में प्रवेश करने के कारण ही इसमें इतनी गति पकड़ी है। इस हाइपोथिसिस को टेस्ट करने के लिए जब हमने कंप्यूटर सिमुलेशन में Oumuamua के पाथ तथा सूर्य से 100 प्रकाशवर्ष की दूरी के अंदर मौजूद 3700 के मोशन को रिमाइंड किया तो हम इस नतीजे पर पहुंचे कि Oumuamua आज से करीब 1.3 मिलीयन साल पहले t.y.c. 4742-102701 नाम के तरे के Oort Cloud से होकर गुजरा था। हालाकि उस समय Oumuamua की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति सेकंड से ऊपर की रही होगी जो उस स्टार सिस्टम की ग्रेविटी से भी इसे निकालने के लिए काफी था। इसका मतलब यह निकलता है कि Oumuamua उस स्टार सिस्टम में भी कहीं बाहर से दाखिल हुआ था। अब अगर तीसरे हाइपोथिसिस की बात करें तो वह यह कहता है कि Oumuamua किसी सौरमंडल से नहीं बल्कि इंटरस्टेलर स्पेस से आया था। दरअसल एस्ट्रोनॉमर काफी पहले से मानते आए हैं कि इंटरस्टेलर स्पेस में काफी मात्रा में एस्ट्रॉयड पाए जाते हैं। अगर आप इंटरस्टेलर स्पेस के बारे में नहीं जानते तो मैं आपको बता दूं कि यह दो सौरमंडल के बीच कि वह दूरी होती जहां ना तो तारे होते हैं और ना ही ग्रह। सौरमंडल के निर्माण के दौरान ग्रहों या उपग्रहों से अलग हुए भाग इंटरस्टेलर स्पेस में चले जाते हैं जो बाद में अलग-अलग सौरमंडल में भ्रमण करते रहते हैं। Oumuamua भी एक ऐसा ही एस्टेरॉयड था। इस हाइपोथिसिस से सबसे ज्यादा लोग सहमत थे। आज Oumuamua को हम एक पहला इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट कह रहे हैं, पर क्या वाकई में केवल यही एक इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट है जो हमारे सौरमंडल में दाखिल हुआ है। जी नहीं दरअसल हर साल कई सारे इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट हमारे सौरमंडल में आते रहते हैं। पर ज्यादातर समय हम उन्हें डिटेक्ट नहीं कर पाते। Oumuamua को हम केवल इसलिए डिटेक्ट कर पाए क्योंकि यह पृथ्वी के इतने नजदीक आ गया कि डेंस स्टार इसे डिटेक्ट कर सकें। भविष्य में इन इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट को आसानी से डिटेक्ट करने के लिए Large Synoptic Survey Telescope का निर्माण किया जा रहा है जो साल 2019 से काम करना शुरू कर देगा। इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट की खोज को लेकर एस्ट्रोनॉमर इतने एक्साइटेड क्यों हैं? दरअसल इनके मुख्य दो कारण हैं, पहला यह है कि एस्ट्रोनॉमर काफी पहले समय से यह मानते आ रहे हैं कि हमारे सौरमंडल में इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट्स काफी मात्रा में हमेशा दाखिल होते रहते हैं। पर हम इनमें से किसी ऑब्जेक्ट को अभी तक डिटेक्ट नहीं कर पाए थे। ऐसे में पहले ऐसे ऑब्जेक्ट को डिटेक्ट करना वाकई में काफी एक्साइटिंग है। दूसरा कारण यह है कि जो कि ऐसे ऑब्जेक्ट या तो इंटरस्टेलर स्पेस से आते हैं या फिर किसी दूसरे सौरमंडल से यह हमें इंटरस्टेलर स्पेस तथा दूसरे सौरमंडल की नेचर के बारे में जानकारी दे सकते हैं। उदाहरण के तौर पर Oumuamua का सिगार जैसा आकार हमारे लिए बिल्कुल नया था। ऐसी लंबाई और चौड़ाई वाला कोई ऑब्जेक्ट हमारे सौरमंडल में पाया नहीं जाता। अगर इस तरह के आकार के ऑब्जेक्ट किसी दूसरे सौरमंडल में पाए जाते हैं तो इसका मतलब यह निकलेगा कि वह सौरमंडल हमारे अपने सौरमंडल से काफी अलग तरह का होगा। अभी हम इतने विकसित नहीं है कि इसकी जांच कर पाए पर भविष्य में जब हम इस काबिल हो जाएंगे तो हम बाहर से आए इन मेहमानों के बारे में और भी बेहतर तरीके से जान पाएंगे। आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि Oumuamua अभी कहां है। इसका उत्तर यह है कि यह काफी तेज रफ्तार से हमसे दूर होता जा रहा है और फिलहाल हमारे पास ऐसी कोई तकनीक मौजूद नहीं है जिससे हम इसके बारे में और ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकें। साल 2022 में यह नेपच्यून ग्रह को पार कर जाएगा। उसके बाद यह Pegasus Constellation में जाने के रास्ते पर निकल जाएगा।
हमारे लिए यह एक ऐसा मेहमान था जिसके बारे में हम ज्यादा जान तो नहीं सके पर इसने हमें भविष्य में आने वाले ऐसे मेहमानों के बारे में जानने के लिए प्रेरित जरूर किया। जिस गति से आज विज्ञान और तकनीक का विकास हो रहा है, हम आशा कर सकते हैं कि भविष्य में शायद हम भी स्टार्ट्रक फिल्म की तरह इंटरस्टेलर ट्रैवल कर पाएंगे। दोस्तों आज के एपिसोड में बस इतना ही।

आशा करता हूं कि एपिसोड आपको पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो उसे शेयर करना ना भूले। अगर आप इस वेबसाइट पर नहीं है तो इसे सब्सक्राइब/बुकमार्क जरूर करें। तो दोस्तों मिलते हैं विज्ञान के एक और दिलचस्प टॉपिक के साथ अगले एपिसोड में। तब तक के लिए नमस्ते

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