Wormholes | क्या है Wormhole?, पुरी जानकारी। | प्रकाश से भी तेज?

हमारे चारों ओर फैला अंतरिक्ष हमेशा से ही हमारी उत्सुकता का विषय रहा है। प्राचीन काल में जब लोग रात्रि में आकाश को निहारते, तो उन्हें टिमटिमाते तारे दिखाई देते जिन्हें वो ईश्वर का घर मानते हैं। सदियों तक ऐसा ही चलता रहा। फिर उदय हुआ विज्ञान का। और हमने जाना कि आकाश में रेत के कण जैसे दिखाई देने वाले यह खगोलीय पिंड असल में या तो तारे हैं या फिर गृह। क्योंकि हम जानते थे कि पृथ्वी भी एक ग्रह है, हमारे मन में एक महत्वपूर्ण सवाल उठा कि क्या पृथ्वी के अलावा भी किसी दूसरे ग्रह पर जीवन मौजूद है। इस सवाल का उत्तर जानने की हमारी जिज्ञासा ने Hubbel जैसे स्पेस टेलीस्कोप को जन्म दिया जिसने कई ऐसे ग्रह ढूंढ निकाले, जिन पर जीवन संभव हो सकता है।
पर यह ग्रह हमसे इतनी दूर है कि हम आज की तकनीक से वहां जाने की सोच भी नहीं सकते। इन ग्रहों तक आसानी से पहुंचने के लिए हमें कम से कम प्रकाश की गति से चलने वाला यान चाहिए। पर आइंस्टाइन की थेओरी ऑफ रिलेटिविटी के अनुसार कोई भी वस्तु जिसका कुछ मास हो, प्रकाश की गति से नहीं चल सकती। क्योंकि ऐसा करने के लिए उसे अनंत ऊर्जा की जरूरत होगी। सीधे शब्दों में कहें तो ऐसे यान की रचना करना ही नामुमकिन है जो प्रकाश की रफ्तार या उससे ज्यादा तेज चले। तो क्या इसका मतलब यह समझा जाए कि हम कभी भी उन ग्रहों तक नहीं पहुंच पाएंगे। अगर ऐसा है तो वैज्ञानिक क्यों बेकार में अपना बहुमूल्य समय ऐसे ग्रह को ढूंढने में लगा रहे हैं जहां हम कभी जा भी नहीं पाएंगे। इसका कारण है कुछ मैथमेटिकल इक्वेशंस जो कम से कम दो ऐसी संभावनाओं को जन्म देते हैं जिनसे हम बिना थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के नियमों को तोड़े ब्रह्मांड के सुदूर इलाकों में प्रकाश से भी पहले पहुंच सकते हैं। यह दो संभावनाएं हैं Wormhole तथा warp drive के रूप में। आज के एपीसोड में हम Wormhole के बारे में जानेंगे।
Warp ड्राइव क्या है और यह कैसे काम करता है। हम किसी दूसरे एपिसोड में देखेंगे तो चलिए शुरू करते हैं आज का एपिसोड।

19वीं सदी के शुरुआती वर्षो तक न्यूटन के ग्रेविटी के सिद्धांत को किसी ने चुनौती नहीं दी। न्यूटन के सिद्धांत के अनुसार इस ब्रह्मांड में सभी ऑब्जेक्ट, हम और आप भी एक दूसरे को अपनी और एक बाल से खींचते हैं जिसे ग्रेविटी या गुरुत्वाकर्षण कहते हैं। ऑब्जेक्ट जितना बड़ा होगा उसका गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही अधिक होगा। यही कारण है कि हम इस पृथ्वी की सतह पर रहते हैं ना कि आकाश में तैरते हुए। पर न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत में एक बहुत बड़ी कमी थी, जिसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। न्यूटन ने यह तो बता दिया कि ब्रह्मांड में हर एक वस्तु एक दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं। पर उन्होंने यह नहीं बताया कि वह ऐसा क्यों या कैसे करते हैं। दूसरे शब्दों में कहूं तो गुरुत्वाकर्षण बल काम ही क्यों करता है या फिर यह कैसे काम करता है। इस महत्वपूर्ण सवाल ने एक युवा क्लर्क को झकझोर कर रख दिया जो आगे चलकर अल्बर्ट आइंस्टाइन के नाम से जाना गया। 1915 में आइंस्टाइन ने अपने जनरल रिलेटिविटी के सिद्धांत के जरिए यह बताया कि गुरुत्वाकर्षण space-time में आई विकृति के कारण काम करता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि ये स्पेस टाइम क्या है? इसे विस्तार से किसी और एपीसोड में समझाऊंगा। फिलहाल आप केवल यह समझ ले कि यह एक चादर की तरह है जिसमें स्पेस और टाइम दोनों एक साथ जुड़े हुए हैं। आइंस्टाइन ने कहा कि ब्रह्मांड की हर वस्तु स्पेस-टाइम को अपने आकार के अनुसार विकृत करती है।
अगर किसी वस्तु का आकार अधिक है तो वह space-time को ज्यादा विकृत करेगी। इसे समझने के लिए आप एक चादर पर एक भारी तथा एक हलका गोला रखें, आप पाएंगें कि दोनों बोले चादर को विकृत करेंगे पर भारी गोला चादर को ज्यादा विकृत करेगा। इससे होगा यह कि दोनों ने एक-दूसरे की ओर खींचने लगेंगे क्योंकि बड़े को लेने चादर को ज्यादा विकृत किया है, छोटा गोला उसकी ओर जाने लगेगा।
आइंस्टाइन के अनुसार इसे ही हम ग्रेविटी यानी कि गुरुत्वाकर्षण बल के नाम से जानते हैं, Wormhole का कॉन्सेप्ट भी space-time में होने वाली विकृतियों से ही आया है। दरअसल आइंस्टाइन तथा उनके साथी Nathan Rosen ये मानते थे कि कई बार इन विकृतियों की वजह space-time में एक शॉर्टकट रास्ता बनता है, जो न सिर्फ ब्रह्मांड के दो सुदूर स्थानों को आपस में जोड़ता है बल्कि दो अलग-अलग समय काल को भी।
अगर आप इसे अभी तक नहीं समझ पाए हैं तो चलिए इसे एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं। मान लीजिए A तथा B स्पेस टाइम में दो ऐसे स्थान है जिनकी दूरी काफी ज्यादा है।
अगर हम परंपरागत तरीके से A से B तक पहुंचने की कोशिश करें तो हमें अरबों वर्ष लग जाएंगे। पर अगर हम space-time को ही मोड़ दें तथा शार्टकट रास्ते का इस्तेमाल करें तो हमें B तक पहुंचने में प्रकाश से भी काफी कम समय लगेगा।
इन्हीं शॉर्टकट रास्तों को हम Wormholes कहते हैं। पर क्या Wormholes इस्तेमाल करना संभव है? आइए जानते हैं।
आइंस्टाइन के मैथमेटिकल मॉडल के अनुसार Wormholes वास्तव में इस ब्रम्हांड में मौजूद होने चाहिए। पर हमें कोई भी Wormholes आज तक नहीं मिला है। अभी तक भौतिकीशास्त्री कुछ भी ऐसा नहीं सोच पाए हैं जिससे यह सिद्ध हो पाए कि इस ब्रम्हांड में Wormholes का निर्माण प्राकृतिक तरीके से होता है। पर थियोरेटिकल फिजिसिस्ट जॉन व्हीलर के क्वांटम फॉम हाइपोथेसिस की माने तो वर्चुअल पार्टिकल्स की तरह Wormholes भी खुद ब खुद बनते तथा नष्ट होते रहते हैं। अगर वर्चुअल पार्टिकल्स के बारे में आप नहीं जानते तो मैं आपको बता दूं कि ब्रह्मांड में कुछ ऐसे पार्टिकल देखे गए हैं जो अपने आप ही अस्तित्व में आते हैं तथा कुछ समय बाद ही नष्ट हो जाते हैं।
यह कहां से आते हैं, इनका निर्माण कैसे होता है तथा यह नष्ट कैसे हो जाते हैं, हम नहीं जानते। आश्चर्यजनक व्यवहार करने वाले इन पार्टिकल्स को भोतिकीशास्त्रीयों ने वर्चुअल पार्टिकल का नाम दिया है। व्हीलर की थ्योरी के अनुसार Wormholes का अस्तित्व तो है पर वह आकार में इतने छोटे होते हैं कि हम उन्हें डिटेक्ट नहीं कर पाते। उनके अनुसार Wormholes का आकार प्लैंक स्केल पर लगभग 10-³³ सेंटीमीटर होता है। चलिए एक पल के लिए यह मान लेते हैं कि जैसे ही वह अस्तित्व में आए हैं, हम उन्हें डिटेक्ट भी कर लेंगे। पर उनके जरिए यात्रा करने के लिए हमें उनके आकार को बढ़ाना होगा और ऐसा करने के लिए हमें जरूरत होगी एग्जॉटिक मैटर की। भ्रमांड में साधारण पदार्थ का नियम यह है कि इसका एनर्जी डेंसिटी तथा प्रसाद पॉजिटिव होता है। पर अगर बात करें एग्जॉटिक मैटर कि तो ये नॉर्मल मैटर से बिल्कुल अलग होता है।
यह एसा मैटर होता है जिसकी एनर्जी डेंसिटी तथा प्रेशर नेगेटिव होती है। यानि कि एक ऐसे मैटर का कॉन्बिनेशन संभव है जिसकी एनर्जी डेंसिटी पॉजिटिव हो तथा प्रेशर नेगेटिव या फिर प्रेशर नेगेटिव एनर्जी डेंसिटी पॉजिटिव। अगर हम एग्जॉटिक मैटर का इस्तेमाल Wormhole में करें तो इसकी नेगेटिव प्रॉपर्टी Wormhole के साइड्स को बाहर की ओर ढकेल कर इसके आकार को इस कदर बढ़ा सकती है कि इंसान या फिर एक अंतरिक्ष यान इसका इस्तेमाल कर पाए। पर यहां पर परेशानी यह है कि एग्जॉटिक मैटर का अस्तित्व अभी तक केवल थ्योरी में ही है। हम बिल्कुल भी नहीं जानते कि यह कैसा दिखता है या फिर इसे कहां ढूंढा जाए। कल्पना में ही सही पर एक पल को मान लेते हैं कि हमने एक Wormhole को ढूंढ लिया है जो आकार में काफी छोटा है। हमें किसी तरह एग्जॉटिक मैटर भी मिल जाता है। जिसका इस्तेमाल कर हम Wormhole को स्टेबल देते हैं तथा इसके आकार को इतना बढ़ा देते हैं कि हम इसके जरिए यात्रा कर पाए। पर Richard F. Holman की माने तो एग्जॉटिक मटर के अलावा कोई भी वस्तु अगर Wormhole में घुसी तो Wormhole नष्ट हो जाएगा। दूसरेे शब्दों में कहूं तो Wormhole में जाते ही हमारी मृत्यु हो जाएगी। अगर भविष्य में हम किसी तरह Wormhole का इस्तेमाल कर पाने में सफल हो भी गए तो हमें एक बड़ी परेशानी का सामना करना होगा। दरअसल Wormhole space-time में दो बिंदुओं को जोड़ता है। यानी कि न सिर्फ स्पेस बल्कि टाइम को भी। मतलब कि अगर हम इसका इस्तेमाल कर ब्रह्मांड के किसी कोने में मौजूद ग्रह पर पहुंचने की कोशिश करें तो बिल्कुल संभव है कि हम वहां किसी और समय काल में पहुंच जाएं। शायद भविष्य या शायद भूतकाल में। ऐसे में हमारे लिए वापस अपने समय में अपने ग्रह पर लौटना भी काफी मुश्किल होगा। Parallel universe theory को मानने वाले भौतिकीशास्त्रियों के अनुसार Wormhole अलग-अलग parallel universe को भी आपस में जोड़ते हैं। ऐसे में क्या हो अगर हम किसी दूसरे parallel यूनिवर्स में जाकर भटक जाए। Devis नाम के भौतिकी शास्त्री जो की Karas Interstellar में मौजूद अपने लैब में एग्जॉटिक मैटर बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं, उनका मानना है कि हमें केवल एग्जॉटिक मैटर की जरूरत है काम करने वाले Wormhole को बनाने के लिए। इससे पता चलता है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि Wormhole का इस्तेमाल करना संभव है। पर साथ ही साथ वह एक रियलिस्टिक बात भी करते हैं। वह कहते हैं अगर वह उसका इस्तेमाल कर हम मनुष्य अगर ब्रह्मांड के किसी भी ग्रह या सितारे के पास पहुंच सकते हैं तो ऐसा कोई कारण नहीं कि ब्रह्मांड की किसी अन्य विकसित सभ्यता ने पहले ही ऐसा न किया हो। पर चुकी हमें अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिले हैं, शायद हमें परंपरागत तरीके से ही ब्रह्मांड की सैर करनी होगी। दूसरी और माइकल काकू की माने तो जो भी मैथमेटिकली संभव है वह कभी ना कभी जरूर हकीकत बनेगा। अभी हम जिन चीजों को असंभव मान रहे हैं वह केवल इसलिए असंभव है क्योंकि हमारे पास उन्हें संभव बनाने के लिए पर्याप्त तकनीक मौजूद नहीं है। जिस दिन हम ऐसी तकनीक का विकास कर लेंगे, वह सब संभव हो जाएगा जो आज असंभव है। अगर बात करें Wormhole से समय यात्रा करने की तो जितना सरल यह प्रतीत होता है, उतना है नहीं। अभी तक जितना हमने इसे समझा है उससे यह तो तय है कि इसके जरिए हम भविष्य की यात्रा कर सकते हैं पर भूतकाल में यात्रा करना अभी भी संभव प्रतीत नहीं होता। खेर Wormhole से हम समय यात्रा कर सकते हैं या नहीं या फिर यह किस तरह समय यात्रा को संभव बनाता है। यह अलग विषय है जिसे हम एक अलग आर्टिकल के जरिए समझेंगे।

आज के इस एपिसोड में बस इतना ही। तो मैं आशा करता हूं कि ये एपिसोड आपको पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो इसे शेयर करना ना भूले। अगर आप इस वेबसाइट पर नए हैं तो इसे सब्सक्राइब/बुकमार्क जरूर करें। दोस्तों मिलते हैं विज्ञान तथा अंतरिक्ष से जुड़े एक और दिलचस्प एपिसोड में तब तक के लिए नमस्कार

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