साइंटिफिक सवाल, जिनका जवाब किसी के पास नहीं, साइंटिस्ट्स के पास भी नहीं। वेद विज्ञान। क्या है वेद विज्ञान आलोक।
आज से लगभग 10 साल पहले एक व्यक्ति ने वैज्ञानिकों से वर्तमान विज्ञान पर अनेकों प्रश्न पूछे जिनका जवाब मॉडर्न साइंस के पास नहीं था। यह कोई धार्मिक सवाल नहीं थे, बल्कि यह सवाल विज्ञान पर ही थी। विज्ञान को ही और अधिक समझने के लिए पूछे गए थे, लेकिन इनका जवाब विज्ञान के पास आज भी नहीं है। जिस व्यक्ति ने इन सवालों को पूछा, उन्होंने एक प्रतिज्ञा ली कि मैं इन सभी सवालों का जवाब वेदों से 2021 तक दे दूंगा और मॉडर्न फिजिक्स को एक नई दिशा दूंगा। यदि मैं ऐसा नहीं कर पाया तो अपना शरीर त्याग दूंगा। यह उनकी भीष्म पितामह जैसी भीष्म प्रतिज्ञा थे। सुभाष चंद्र बोस के लहजे में उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक मुझे विज्ञान की समस्याएं दें और मैं उनका समाधान वेदों से दूंगा। अपने प्रतिज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने लगभग 10 साल वेदों की रिसर्च करके एक बुक लिखी, जिसका विज्ञान मॉर्डन साइंस के विज्ञान के 150 साल आगे का है। उन्होंने जो कहा वह करके भी दिखाया। आखिर वो व्यक्ति कौन थे? आइए पहले हम उन सवालों को देखते हैं जिनका जवाब आज भी दुनिया के किसी वैज्ञानिक के पास नहीं है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स कैसे काम करता है?
विज्ञान बताता है कि जब दो पॉजिटिव और नेगेटिव चार्ज पार्टिकल्स एक दूसरे के पास में आते हैं तब उनके बीच में वर्चुअल पार्टिकल्स का इंटरेक्शन होता है और इस इंटरेक्शन की वजह से ही पार्टिकल्स एक दूसरे के पास में आ जाते हैं।
दूसरा सवाल है कि प्रकाश का परावर्तन कैसे होता है?
विज्ञान अनुसार जब प्रकाश की किरण किसी सर्फेस पर टकराती है तब वहां के एटम उस लाइट वेव के photons को अब्सोर्ब कर लेती है और photons को अब्सोर्ब करने के कारण एटम हाइयर स्टेट में चला जाता है और थोड़ी देर बाद एटम उस photon को वापस छोड़ देता है। इस तरह प्रकाश के photons परावर्तित होते हैं। यहां पर उन्होंने एक सवाल पूछा कि पहली बात यह है कि जब photons को अब्सोर्ब किया तो फिर उसे वापस क्यों छोड़ो? दूसरी बात यह कि एटम्स लगातार सर्कुलर मोशन में है और प्रकाश की एक किरण में करोड़ों photons होते हैं। जब यह सभी photons एटम द्वारा अब्सोर्ब किए जाकर वापस छोड़े जाएंगे, तब तभी छोड़े जाने वाले photons अलग-अलग एंगल पर छोड़े जाएंगे क्योंकि एटम खुद सर्कुलर मोशन में है। इसलिए 360 डिग्री के अलग अलग एंगल पर करोड़ों फोटो छोड़ जाएंगे। लेकिन जब प्रकाश की किरण परावर्तित होती है तब सारे के सारे photons एक ही लाइन में कैसे आ जाते हैं?उन सब photons को एक लाइन में किसने लगाया या फिर वह कैसे एक लाइन में आ जाते हैं? उदहारण के लिए अगर आप एक वाटर शॉवर गोल-गोल घूमाएंगे तो उसके छिद्रों से निकलने वाला पानी भी एक दिशा में नहीं जाएगा, बल्कि घूमेगा। इसी तरह इलेक्ट्रॉन लगातार घूम रहा है, तब उससे निकलने वाले photons अलग-अलग एंगल्स में जाएंगे। इन सभी photons को एक जगह कौन लगाता है, इसका रहस्य क्या है?अगला सवाल है सृष्टि में उर्जा की उत्पत्ति सर्वप्रथम कैसे होती है और सबसे पहले कौन सी उर्जा उत्पन्न होती है और उसमें क्या होते हैं?
एनर्जी, मास और फोर्स क्या होते हैं? कोई भी दो शुक्ष्म कण या ऑब्जेक्ट पूरी तरह एक दूसरे से संयुक्त क्यों नहीं हो सकते? एक निश्चित दूरी के बाद उनमें प्रतिकर्षण बल का लगता है? डार्क मैटर और डार्क एनर्जी क्या है? भ्रम्मांड में कितने प्रकार के फील्ड्स होते हैं और यह सभी फील्ड कैसे उत्पन्न होते हैं? ऐसे 100 सवाल उन्होंने वैज्ञानिकों से पूछे जिनमें से कुछ का जवाब विज्ञान दे सकता है और कुछ सवालों को वैज्ञानिक बहुत आश्चर्य से देखते हैं। इन्होंने 2004 के बाद ऋग्वेद के ऐतरेय ब्राह्मण ग्रंथ पर रिसर्च करना शुरू किया और लगभग 10 साल की मेहनत से ऐतरेय ब्राह्मण ग्रंथ को डिकोड करके पूरी कॉस्मोलॉजी के विज्ञान को वेद विज्ञान आलोक नाम के एक ग्रंथ में बताया है।जिसमें मॉडर्न साइंस की सभी समस्याओं का समाधान है। इसी ग्रंथ से इन्होंने ब्रह्मांड के निर्माण की एक नई थ्योरी वैदिक रश्मि थिओरी दी है।जिसे बीएचयू के साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस में 8 अप्रैल 2018 को प्रेजेंट किया गया था। इनके द्वारा डिकोड किए गए इस ग्रंथ में आपको क्या-क्या बातें जानने को मिलेगी, आइए देखते हैं। इस ग्रंथ से हम जान पाएंगे कि टाइम क्या होता है?स्पेस क्या होता है? ब्रह्मांड में कुल 9 प्रकार के फंडामेंटल फोर्सेस हैं, यह सब कैसे काम करते हैं? Graviton का ग्रेविटी से क्या रिलेशन है? यह graviton किन-किन राशियों से मिलकर बना होता है?ऊर्जा क्या होती है, कितने प्रकार की होती है? डार्क एनर्जी और डार्क मैटर क्या होता है? एलिमेंट्री पार्टिकल्स और photons की स्ट्रक्चर क्या है और इनकी उत्पत्ति कैसे होती है? इस ग्रंथ से वैज्ञानिकों को 100-200 वर्षों तक की अनुसंधान सामग्री मिल जाएगी जिससे वे मॉडर्न साइंस के सभी अनसुलझी समस्याओं का समाधान कर पाएंगे। इस ग्रंथ से वैज्ञानिक ऐसे टेक्नोलॉजी का विकास कर पाएंगे जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। बिना फिजिक्स के टेक्नोलोजी नहीं हो सकती। इस ग्रंथ में बताई गई वैदिक फिजिक्स से महाभारत और रामायण में प्रयोग की गई टेक्नोलॉजी को समझ पाएंगे और बेसिक टेक्नोलॉजी को विकसित कर पाएंगे। इस ग्रंथ से संस्कृत भाषा ब्रह्मांड की भाषा सिद्ध होगी। तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।
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